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गिरिडीह में धूमधाम से मनाया गया गुरू गोबिंद सिंह जी का 356वां प्रकाश पर्व

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सिक्खों के 10वें गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी का 356 वां प्रकाश पर्व स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही धूमधाम व उल्लास पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा में विशेष दीवान का आयोजन किया गया। गुरूद्वारे को आकर्षक रंग बिरंगे फूलों व रोशनी से सजाया गया था। पटना से आए हुए कीर्तन हाजरी भाई साहब, भाई साहब कमेंद्र सिंह, जी हजूरी रागी तख्त पटना साहिब और उनके जत्था के द्वारा ‘‘राजन के राजा, महाराजन के महाराजा ऐसो राज छोड़ अउर दूजा कउन धिआईऐ’’ जैजै कार करे सभु कोई’’, ‘‘खालसा मेरो रूप है खास’’ वाहो-वाहो गोबिंद सिंह आपे गुरू-चेला’’ जैसे कई शबद प्रस्तुत किए। जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। कीर्तन के माध्यम से संगतों को बताया कि मानव को अपने जीवन में सुख शांति पाने के लिए जात पात का त्याग करना चाहिए व सबों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करना चाहिए । गुरूद्वारा के प्रधान मुख्य सेवक डाॅ गुणवंत सिंह मोंगिया व सचिव सम्मी सलूजा ने बताया कि गुरूगोबिंद सिंह जी की जयंती को लेकर 21 दिसम्बर से लेकर 29 दिसम्बर तक लड़ी वार, अखंड पाठ साहिब जी की सेवा संगत की ओर से की गई।

वहीं 24 दिसम्बर से लेकर 28 दिसम्बर तक पांच प्रभात फेरियां निकाली गई। श्री मोंगिया ने बताया कि गुरु गोबिन्द सिंह सिक्खो के दसवें धार्मिक गुरु थे। वे एक गुरु ही नहीं बल्कि एक महान दार्शनिक, प्रख्यात कवि, निडर एवं निर्भीक योद्धा, अनुभवी लेखक और संगीत के पारखी भी थे। वे सिर्फ 9 वर्ष की आयु में सिक्खों के नेता बने एवं अंतिम सिक्ख गुरु बने रहे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने न सिर्फ अपने महान उपदेशों के माध्यम से लोगों को सही दिशा दिखाई, बल्कि उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और अपराधों के खिलाफ भी विरोध किया एवं खालसा पंथ की स्थापना की, जो को सिख धर्म के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना के तौर पर अंकित है। इस दौरान गुरूद्वारे में लंगर का आयोजन किया गया। लंगर की संपूर्ण सेवा गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के द्वारा की गई थी। जिसमें काफी संख्या में लोगों ने सिरकत की। मौके पर डाॅ अमरजीत सिंह सलूजा, चरणजीत सिंह सलूजा, परमजीत सिंह दुआ, राजेंद्र सिंह, सरबजीत सिंह, गुरविंदर सिंह, तरणजीत सिंह बंटी, तरणजीत सिंह जिम्मी, हर्षदीप सिंह, राजेंद्र सिंह बग्गा, देवेंद्र सिंह, गुरूदीप सिंह बग्गा, हरमिंदर सिंह बग्गा, कुंवरजीत सिंह, अवतार सिंह, त्रिलोचन सिंह, गुरभेज सिंह कालरा, सुधीर आनन्द, रिसी चावाला, राजू चावला समेत समाज के कई महिला-पुरूष मौजूद थे।

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