गिरिडीह झारखण्ड

गिरिडीह में गुरू गोबिंद सिंह जी का 357 वां प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया, शबद-कीर्तन व लंगर का हुआ आयोजन

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सिक्खों के 10वें गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी का 357 वां प्रकाश पर्व स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही धूमधाम व उल्लास पूर्वक मनाया गया । इस अवसर पर गुरुद्वारा में विशेष दीवान का आयोजन किया गया। गुरूद्वारे को आकर्षक रंग बिरंगे फूलों व रोशनी से सजाया गया था। देहरादून के रागी जत्था भाई हरप्रीत सिंह व उनकी टीम के द्वारा वह प्रगटिओ मरद अगंमड़ा वरीआम इकेला।। वाह वाह गोबिंद सिंघ आपे गुरू चेला ।। जैसे कई शबद प्रस्तुत किए। जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई।

कीर्तन के माध्यम से संगतों को बताया कि मानव को अपने जीवन में सुख शांति पाने के लिए जात पात का त्याग करना चाहिए व सबों को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करना चाहिए । गुरूद्वारा के प्रधान मुख्य सेवक डाॅ गुणवंत सिंह मोंगिया व सचिव सम्मी सलूजा ने बताया कि गुरूगोबिंद सिंह जी की जयंती को लेकर 7 जनवरी से लेकर 17 जनवरी तक अखंड पाठ का आयोजन किया गया था। जिसका समापन आज हुआ। 12-16 जनवरी तक पांच प्रभात फेरियां निकाली गई। डाॅ मोंगिया ने बताया कि गुरु गोबिन्द सिंह सिक्खो के दसवें धार्मिक गुरु थे। वे एक गुरु ही नहीं बल्कि एक महान दार्शनिक, प्रख्यात कवि, निडर एवं निर्भीक योद्धा, अनुभवी लेखक और संगीत के पारखी भी थे।

वे सिर्फ 9 वर्ष की आयु में सिक्खों के नेता बने एवं अंतिम सिक्ख गुरु बने रहे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने न सिर्फ अपने महान उपदेशों के माध्यम से लोगों को सही दिशा दिखाई, बल्कि उन्होंने समाज में हो रहे अत्याचारों और अपराधों के खिलाफ भी विरोध किया एवं खालसा पंथ की स्थापना की, जो को सिख धर्म के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना के तौर पर अंकित है। लंगर की संपूर्ण सेवा गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के द्वारा की गई थी। गुरूद्वारे में विधायक श्री सोनू ने अपनी धर्म पत्नी के साथ मत्थ टेका और गुरू महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही लंगर भी ग्रहण किया।

लंगर में काफी संख्या में लोगों ने सिरकत की। मौके पर डाॅ अमरजीत सिंह सलूजा, चरणजीत सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह, गुरविंदर सिंह, तरणजीत सिंह बंटी, सतविंदर सिंह सलूजा, ऋषि सलूजा, देवेंदर सिंह, अजींदर सिंह चावला, तरणजीत सिंह जिम्मी, हर्षदीप सिंह, देवेंद्र सिंह, गुरूदीप सिंह बग्गा, हरमिंदर सिंह बग्गा, कुंवरजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, गुरभेज सिंह कालरा, सुधीर आनन्द, रिसी चावाला, राजू चावला समेत समाज के कई महिला-पुरूष मौजूद थे।