गिरिडीह। धन धन गुरू राम दास जिन सिरिआ तिनै सवारिआ, सबना का मां पियो आप है, समेत कई शबद कीर्तन से सात संगत निहाल हो गई । मौका था सिक्खों के चौथे गुरू रामदास जी के 488 वें प्रकाशोत्सव का। इस दौरान गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही भक्ति भाव धूमधाम तरीके से प्रकाश पर्व मनाया गया। पंजाब के पटियाला से गिरिडीह पहुंचे भाई जसकरण सिंह व उनकी टीम के द्वारा एक से एक बढ़कर शब्द कीर्तन प्रस्तुत किया गया जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। वहीं स्थानीय रागीजत्था भाई सुबोध सिंह के द्वारा भूलहि चूकहि बारिक ते, हरि पिता माया तेरे भरोसे पिआरे मैं लाड लड़ाया.. जैसे कई कीर्तन प्रवाह किया गया। गुरू सिंह सभा के पूर्व प्रधान डॉ अमरजीत सिंह सलूजा ने बताया कि गुरूराम दास जी ने ही रामदासपुर की स्थापना की थी, जो आज अमृतसर स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रख्यात है।
इन्होंने 30 रागों में 638 रचनाएं लिखी। गुरूराम दास जी ने अंधविश्वास, जाति प्रथा व कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने बताया कि 6 अक्टूबर से अखंड पाठ की शुरूआत हुई थी, जिसका समापन आज हुआ। समाप्ति के पश्चात अरदास व लंगर का आयोजन किया गया। लंगर की सेवा सरदार देवेंद्र पाल सिंह टूटेजा, सैंकी टुटेजा की ओर से की गई थी। मौके पर गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सम्मी, उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह सलूजा ,सरदार अमरजीत सिंह सलूजा, पूर्व प्रधान देवेंद् सिंह कुवंरजीत सिंह, हरमिंदर सिंह बग्गा, सतविंदर सिंह सलूजा, गुरदीप सिंह बग्गा, अवतार सिंह, राजू चावला, रोबिन चावला, देवेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह समेत समाज के कई महिला-पुरूष व बच्चे मौजूद थे।