झारखंड में मानसून के दस्तक देते ही राज्य के सभी हिस्सों में बारिश शुरू हो गई है. बारिश के शुरू होते ही झारखंड में शाकाहारी मटन कहा जाने वाला रुगड़ा अब बाजारों में आ गया है और लोग इसकी खरीदारी के लिए टूट पड़े है. बता दें, शुरुआती दौर में रुगड़ा की कीमत काफी ज्यादा रहती है.
बता दें, रुगड़ा झारखंड के बाजारों में आ चुका है और इसकी यह 1000 रूपये किलों के भाव से बिक रहा है. रुगड़ा को ग्रामिणों के प्राकृतिक आजीविका का साधन माना जाता है. इसे ज्यादातर सखुआ के जंगलों के आस पास बसे गांवों में पाया जाता है. आपको बता दें, कि यह रुगड़ा मानसून की पहली बारिश के सखुआ के जंगलों में मिलने लगता है. थोड़ी-थोड़ी दूर पर जमीन में हल्की सी उठी नजर आती है जिसे डंठल से खोदने पर वहां रुगड़ा पाया जाता है. इसे मुंडारी में पुट्टू भी कहते हैं.
यह आदिवासियों के भोजन में प्राचीन काल से सम्मिलित है. सामान्यतः यह दो प्रकार का होता है सफेद और काला. जिसमें काला रुगड़ा का टेस्ट कुछ अलग ही होता है. और बारिश के सीजन के हिसाब से ये भी बढ़ता रहता है, जैसे-जैसे बारिश का सीजन खत्म होने लगता है वैसे-वैसे ये भी बुढ़ा होने लगता है. इसकी मांग ज्यादातर वर्षा ऋतु के प्रारंभिक और मध्य काल में होती है.