गायत्री शक्तिपीठ तिरंगा चौक गिरिडीह में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया l इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार प्रतिनिधि त्रिलोचन साहू जी ने किया l संचालन जिला प्रमुख कामेश्वर सिंह ने किया l सर्वप्रथम शांतिकुंज के युग गायक शंतर सिंह के द्वारा मां गायत्री की प्रार्थना एवं गुरु आवाहन किया गया l
आज संपन्न विचार गोष्ठी में गिरिडीह , बेंगाबाद ,गान्डेय पीरटांड़ एवं जमुआ प्रखंड के परिजनों ने भाग लिया l इस शुभ अवसर पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार प्रतिनिधि त्रिलोचन साहू जी कहां की वेद मूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के द्वारा बसंत पर्व 1926 में प्रज्वलित अखंड दीप का 100 वर्ष 2026 में पूरा होने वाला है,
साथ ही इस मिशन की संचालिका भगवती देवी शर्मा जी का जन्म शताब्दी वर्ष भी 2026 में पूरा हो रहा है l इन दोनों को ध्यान में रखकर के शांतिकुंज हरिद्वार के द्वारा जन-जन को गायत्री महामंत्र से जोड़ने एवं युग ऋषि के संदेश को, उनके विचारों को पहुंचाने का संकल्प लिया गया है l इसी को ध्यान में रख पिछले 6 दिनों से जिले के सभी प्रखंडों में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया l
आज अंतिम दिन गायत्री शक्तिपीठ गिरीडीह में अंतिम विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया l उन्होंने उपस्थित परिजनों से आह्वान किया कि आप सभी इस कार्य में प्राणपन से जूटे और जन-जन तक युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं शांतिकुंज हरिद्वार के संदेश और उनके द्वारा लिखे गए 3200 पुस्तकों को जन- जन तक पहुंचाने का कार्य करें l यह कार्य झोला पुस्तकालय चला करके घर-घर जाकर के उनके साहित्य का स्वाध्याय करवाकर करने का आह्वान उन्होंने किया l जब लोग उनके विचारों को पढ़ेंगे तो निश्चित रूप से उनके विचार में परिवर्तन आएगा और आज जो समाज में विकृतियां छाई है उसका अंत होगा l
उपस्थित परिजनों से उन्होंने समय दान एवं अंशदान करने का भी आह्वान किया ताकि शांतिकुंज हरिद्वार के द्वारा लिया गया संकल्प शीघ्र पूरा हो सके l
कार्यक्रम के बाद शांतिकुंज प्रतिनिधि के द्वारा कल से लगातार 5 दिन तक धनबाद में भी विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा l
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला प्रमुख कामेश्वर सिंह,प्रकाश गुप्ता, दर्शन पंडित ,अनिरुद्ध राम, नरेश प्रसाद यादव, अतुल कुमार ,उर्मिला बरनवाल पार्वती बरनवाल,पूनम गुप्ता,वीणा गुप्ता ,शशि बरनवाल दुलारी देवी ,सुमन गुप्ता सहित महिला मंडल के बहनों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ।