महाशिवरात्रि के पूर्व देवघर स्थित बाबा मंदिर सहित परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के शिखर पर लगे पंचशूल को खोल कर साफ करने तथा पूजा करने की परंपरा रही है। इसके लिए भी तिथि तथा मुहूर्त के अनुसार पंचशूल उतारा जाता है।
कल गुरुवार 29 फरवरी को भगवान गणेश के मंदिर से पंचशूल को खोलने की परंपरा शुरू की जायेगी। उसके बाद बारी-बारी से सभी मंदिरों के शिखर पर लगे पंचशूल खोले जायेंगे। वहीं छह मार्च को दोपहर तीन बजे के बाद बाबा व माता पार्वती मंदिर के शिखर से पंचशूल को एक साथ उतारा जायेगा।
इसके पहले दोनों मंदिरों में लगे गठबंधन को खोला जायेगा। पंचशूल खाेलने के बाद बाबा व माता के मंदिर के पंचशूल का मिलन कराया जायेगा। इस दृश्य को देखने के लिए भारी संख्या में लोग मंदिर में मौजूद रहेंगे तथा पंचशूल को स्पर्श कर आशीर्वाद लेंगे।
परंपरा के अनुसार, सात मार्च को राधाकृष्ण मंदिर के बरामदे पर सुबह सात बजे से सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा तांत्रिक विधि से बाबा बैद्यनाथ व मां पार्वती सहित सभी मंदिरों के पंचशूलों की विशेष पूजा कर आरती के साथ पूजा को संपन्न करेंगे।
इसके बाद गणेश मंदिर से पंचशूल लगाने की परंपरा प्रारंभ होगी। वहीं बाबा व माता के मंदिर में पंचशूल चढ़ने के बाद सरदार पंडा पहला गठबंधन चढ़ा कर गठबंधन चढ़ाने की परंपरा शुरू करेंगे। आठ मार्च को महाशिवरात्रि को रात में चतुष्प्रहर पूजा का आयोजन किया जायेगा।