सनातन धर्म में आमतौर पर कलाई में रक्षा सूत्र लोग बांधते हैं, जिसे कलवा भी कहा जाता है। लेकिन इसी सनातन धर्म में एक विशेष पूजा ऐसी भी होती है, जिसमें कलाई पर रक्षा सूत्र नहीं बांधकर उसे बांह पर बांधा जाता है। इस पूजा का नाम अनंत चतुर्दशी है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाया जाएगा। इसका शुभारंभ 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर होगा, तो वहीं इसका समापन 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस त्योहार को केवल हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि जैन धर्म में भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दिगंबर जैन समुदाय का पर्यूषण पर्व भी समाप्त होता है।
पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख किया गया है कि द्वापर युग में जब पांडवों से उनका राज पाठ छीन लिया गया था, तब उन्होंने अनंत चतुर्दशी के व्रत को रखकर अपने साम्राज्य को वापस हासिल किया था। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने वाले भक्तों को 14 साल तक शुभ परिणाम मिलता है तथा भगवान विष्णु सदैव उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। ऐसे में अगर आप भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस दिन आपको चौदह ग्रंथि का सूत्र बांधना चाहिए।
अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें फल आहार के तौर पर लेना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से एक दिन पहले चावल नहीं खाना चाहिए।