गिरिडीह झारखण्ड शिक्षा

रवीश क्लासेस के अनुराग ने जे ई ई मेन्स में लहराया परचम

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विगत 15 वर्षों से रांची के प्रमुख कोचिंग संस्थान में इंजीनियरिंग मेडिकल की तैयारी करा रहे गिरिडीह निवासी रवीश नाथ सहाय ने पिछले सत्र से अपने पैतृक शहर में कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए पिछले सत्र से मात्र 10 बच्चों को इंजीनियरिंग मेडिकल की संपूर्ण तैयारी करवाना शुरू किया जिसमें से संस्थान के छात्र अनुराग सिन्हा ने जे ई ई मेन्स 2024 में 98.23 परसेंटाइल लाकर सफलता का कृतिमान स्थापित किया सफलता की इस राह में अनुराग से बातचीत के क्रम में उसने बताया कि मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद मै आगे इंजीनियरिंग की तैयारी हेतु कोटा जाने को सोच रहा था

तभी मेरा संपर्क रविश सर से हुआ और उनसे प्रभावित होकर उनके मार्गदर्शन में मैं गिरिडीह में रहकर तैयारी करने का मन बनाया ताकि मुझे परिवार का अनुकूल वातावरण और भावनात्मक सहयोग मिलता रहे निसंदेह रविश सर एक अनुभवी और योग्य शिक्षक हैं जिन्होंने मुझे तीनों विषयों फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ की तैयारी करवाई यहां मुझे छोटे बैच साइज के कारण सर का व्यक्तिगत मार्गदर्शन मिला अनुराग ने बताया कि सर के मार्गदर्शन में कठिन परिश्रम स्वयं को सोशल मीडिया आदि से दूर रखना और परिवार का लगातार भावनात्मक सहयोग और अनुकूल वातावरण मेरी सफलता का मंत्र है

अनुराग के माता-पिता ने कहा कि आरंभ में हमें अपने बच्चों को कोटा नहीं भेजने का निर्णय को लेकर मन में संदेह था किंतु अनुराग की सफलता ने हमारे सारे संदेह को दूर कर हमें गौरवान्वित किया रविश सर ने कहा कि अनुराग की सफलता यह प्रमाणित करती है कि अब गिरिडीह में रहकर इंजीनियरिंग मेडिकल में अच्छा प्रदर्शन किया जा सकता है

मैं रांची के एक प्रतिष्ठित संस्थान में 20 वर्षों तक पढ़ाकर अनेकों बच्चों को उत्कृष्ट सफलता दिलवाई है कोरोना के कालखंड में मैं रांची से अपने पैतृक शहर गिरिडीह आया और अपने शहर के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा लेकर मात्र 10 बच्चों को प्रतिदिन 6 घंटे तक इंजीनियरिंग मेडिकल की तैयारी करवाना शुरू किया जिसका परिणाम अनुराग की सफलता के रूप में आपके सामने है

इसमें से कुछ बच्चे नीट में भी अपनी सफलता का परचम लहराएंगे रविश सर ने कहा कि घर का अनुकूल वातावरण परिजनों का भावनात्मक संबल छात्र का कठिन परिश्रम और योग्य एवं अनुभवी शिक्षक का व्यक्तिगत मार्गदर्शन ही सफलता का मूल मंत्र है जो रवीश क्लासेस के द्वारा गिरिडीह में भी संभव है