यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर गिरिडीह के बैंकों के कर्मचारियों ने किया हड़ताल
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यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर देशभर के लगभग 10 लाख कर्मचारी व अधिकारीगण सोमवार ओर मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रतिवर्ष ऑपरेटिंग लाभ अर्जित कर देश के सृजन में अपना भरपूर योगदान दे रहे है। जिसमें बैंक वित्तीय प्रणाली का केंद्र बिंदु है। वर्तमान युग में बैंक के बिना देश के विकास की कल्पना करना काफी मुमकिन है। पूर्व से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आदि भारत जैसे विकासशील देश के लिए अपने पारंपरिक व्यवस्था के मद्देनजर सामाजिक उद्देश्य एवं समानता बनाए रखने रोजगार सृजन आदि में सदैव अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। परंतु वर्तमान में सरकार ने अपने बजट भाषण में स्पष्ट रूप से यह घोषणा की है कि आने वाले दिनों में आईडीबीआई बैंक के अलावे दो अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार पिछले 52 वर्षों का इतिहास है कि राष्ट्रीयकृत बैंक कभी फेल नहीं हुए हैं बल्कि निजी क्षेत्र के सैकड़ों बैंक फेल हो गए। इसके बावजूद भी राष्ट्रीयकृत बैंकों ने जवाबदेही उठाई एवं देश की जनता का पैसा डूबने से बचाया। पूरे जिले में आज तकरीबन 150 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ है। हड़ताल को सफल बनाने में मुख्य रूप से अध्यक्ष अशोक चौरसिया, संयोजक दिलीप कुमार के साथ-साथ कई साथियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही जिलेभर से करीब-करीब 200 की संख्या में कर्मचारी एवं अधिकारी जुटे हुए थे। जिसमें मुख्य रूप से बेंजामिन मुर्मू, मुकेश सिन्हा, बिंदनाथ झा, रामलला झा, रमेश सिन्हा,धर्म प्रकाश, उदय सिंह, सौरव, विशाल, मनीष मिश्रा, चांदनी, नीलम, व्रीतिका, दीपिका, सौम्या, अनुराधा, अवंतिका, रिशु,मैरी, अंजलि, मृत्युंजय, अभिषेक, अजय दीनानाथ, देवराज, शशि भूषण, राजेह सिन्हा,सत्यजीत, मकेश्वर, सिकंदर, नूरेंद्र, विजय,आदि समेत सैकड़ो की संख्या में बैंककर्मी उपस्तिथ थे।