धनतेरस की पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार, जब अमृत की प्राप्ति को लेकर देवताओं और असुरों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था तब इस समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लिए उपन्न हुए थे। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है और इस दिन विशेष तौर पर भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है। भगवान धन्वंतरि न सिर्फ धन, ऐश्वर्य, सुख व समृद्धि प्रदान करते हैं बल्कि आरोग्यता का वरदान भी देते हैं।
इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ उत्पन्न हुए थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। भगवान धन्वंतरि के साथ इस दिन भगवान कुबेर, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का भी विधान है। इसके अलावा धनतेरस के दिन यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा है और इस दिन यम यानि यमराज के लिए आटे का एक चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वारा पर रखा जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती है। बता दें कि यह दीपक घर की दक्षिण दिशा में जलाया जाता है।