आज दिनांक 28.10.2020 को कार्यालय प्रकोष्ठ में उपायुक्त की अध्यक्षता में माननीय NGT, नई दिल्ली में दायर वाद (O.A. No. 360/2018) से संबंधित बैठक आयोजित की गई।
बैठक के दौरान उपायुक्त ने कहा कि O.A No. 360/2018 में पारित आदेश के आलोक में माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(NGT), नई दिल्ली द्वारा जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु जल निकायों के संरक्षण एवं पुनर्स्थापन पर जोर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा प्राप्त दिशा-निर्देशों के आलोक में उपायुक्त द्वारा पर्यावरण के लिए जल निकायों के संरक्षण के महत्व पर ध्यान दिया गया। उन्होँने कहा कि तालाब/कुआं/डोभा/बांध/चेकडैम/झील/जल निकाय/जल संचयन संरचनाओं की स्थापना के साथ-साथ मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं को हर स्तर पर बड़े पैमाने पर शामिल करने के अलावा, उप जल क्षेत्रों में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्य में ग्राम पंचायत की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रत्येक गांव में कम से कम एक नए तालाब/कुआं/डोभा/बांध/चेकडैम/झील/जल निकाय बहाल किया जाना चाहिए। प्रत्येक जल संग्रहण स्थल जैसे तालाब/झील/कुआं आदि के पानी की गुणवत्ता खराब ना हो, इसकी भी समय-समय पर जांच करेंगे। साथ ही सभी वाटर बॉडीज/ झील की पहचान कर उसका जियो टैगिंग करना सुनिश्चित करेंगे।
उपायुक्त द्वारा सभी सम्बन्धित पदाधिकारीयों को निदेशित करते हुए कहा गया कि तालाब और झील आदि जल निकायों के जीर्णोद्धार को प्राथमिकता देने के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से एक्शन प्लान तैयार कर सभी जल संग्रहण स्थल यथा कुआ/तालाब/झील आदि से कूड़ा कचड़ा एकत्र करना, अतिक्रमण के कारण कैचमेंट एरिया का ट्रीटमेंट प्लान तैयार करना, सभी जल संग्रहण स्थल की डिमार्केशन/सरहदबंदी अत्यंत आवश्यक है। साथ ही सरकारी अथवा गैर सरकारी तालाब अथवा झील वाले स्थान पर साइन बोर्ड़ का भी इस्तेमाल करना सुनिश्चित करें ताकि असामाजिक तत्वों द्वारा कचरा ना फैलाया जा सके एवं पानी को दूषित होने से बचाया जा सके। किसी भी जल संग्रहण स्थल के समीप कचरा फैलाने से रोकने के निमित्त जागरूकता हेतु साइन बोर्ड में उचित दंड के प्रावधानों का भी उल्लेखन करें। प्रत्येक जलसंग्रह स्थल की जियो रेफरेंस यूआईडी बनवाना एवं उस स्थल का जीर्णोद्धार एवं उसकी रक्षा के लिए कार्य योजना/एक्शन प्लान तैयार कर आगे की कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। वैसे तालाब जो 1/2 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में हो उसे रीस्टोर करना अनिवार्य है।
इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया गया कि जिले के सभी दूषित/कचरायुक्त तालाबों को चिन्हित कर सूचीबद्ध करते हुए उन तालाबों से पानी को संग्रहित कर सभी दूषित तालाबों की पानी की सैंपल जांच हेतु भेजना सुनिश्चित करेंगे ताकि सुनियोजित तरीके से सभी दूषित तालाबों की गुणवत्तापूर्ण जांच कर सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार किया जा सके।
बैठक के दौरान उपायुक्त ने कहा कि मनरेगा अंतर्गत जल संग्रहण केंद्रों की सुरक्षा एवं जीर्णोद्धार तथा उसमें पानी के प्रबंधन की व्यवस्था करना सुनिश्चित करें। साथ ही नदी के जल प्रवाह को मेंटेन करना, अतिरिक्त जल संग्रह के लिए तालाब को मनरेगा के तहत निर्माण कराना तथा प्रत्येक गांव में एक तालाब या जल स्रोत के संग्रहण का जीर्णोद्धार करना अनिवार्य है। इसके अलावा उपायुक्त ने कचरा प्रबंधन को दुरुस्त करने के उद्देश्य से आधुनिक तकनीक के माध्यम से ठोस कदम उठाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट पदार्थों को एकत्रित कर जैविक खाद्य बनाने में सुदृढ़ कदम उठाए तथा कचरा डंपिंग के लिए उत्तम व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि सभी अपशिष्ट पदार्थों को एक साथ एक जगह एकत्रित कर जैविक खाद्य हेतु उपयोग किया जा सके। साथ ही उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर जोर देते हुए कहा कि प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री का उपयोग करना बंद करें और पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग सामग्री के विकल्प को अपनाएँ। प्लास्टिक के अलावा अन्य प्लास्टिक के प्रकारों पर चरणबद्ध तरीके से जोर देना है जो गैर पुनर्चक्रण या गैर-ऊर्जा प्राप्ति योग्य या बिना वैकल्पिक उपयोग के साथ हैं। इसके अलावा उपायुक्त ने कहा कि प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए हमें रीसाइक्लिंग पर जोर देना पड़ेगा। साथ ही गीले कचरे का उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है।
उपायुक्त ने कहा कि शुद्ध पानी एक विश्वव्यापी समस्या है। इस हेतु वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सरकार के निदेशानुसार जिला प्रशासन द्वारा नियमित रूप से कई प्रकार के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि शुद्ध पानी की विकट समस्या से ना केवल हम सभी अपितु हमारे आने वाली पीढ़ी को भी भविष्य में किसी प्रकार के समस्या का सामना ना करना पड़े।
बैठक में इनकी रहीं उपस्थिति
समाहरणालय सभागार कक्ष में उपायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य रूप से उप विकास आयुक्त, उप नगर आयुक्त, नगर निगम,निदेशक डीआरडीए, जिला परियोजना पदाधिकारी, डीआरडीए, जिला वन पदाधिकारी, जिला खनन पदाधिकारी, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता, सिंचाई प्रमंडल, NGO के प्रतिनिधि व अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित थे।