चार दिवसीय छठ महापर्व के आज दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। शाम को छठव्रतियों ने घरों में मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जला कर गुड़, अरवा चावल व दूध से मिश्रित रसिया बनाया। रसिया को केले के पत्ते में मिट्टी के ढकनी में रखकर मां षष्ठी को भोग लगाने के बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किया।
कल गुरूवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 8 नवंबर की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियां व्रत का पारण करेंगी। इसके साथ ही छठ महापर्व संपन्न होगा।
छठ पूजा का व्रत में खरना के दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है। इसमें 36 घंटे के व्रत के दौरान न कुछ खाया जाता है और न ही जल पिया जाता है। शाम को छठवर्ती के घरों में मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जला कर गुड़, अरवा चावल व दूध से मिश्रित रसिया बनाए जाते हैं। रसिया को केले के पत्ते में मिट्टी के ढकनी में रखकर मां षष्ठी को भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां षष्ठी एकांत व शांत रहने पर ही भोग ग्रहण करती हैं।