गिरिडीह। सिक्खों के पांचवें गुरू गुरू तेग बहादूर जी का 400वां शताब्दी समारोह स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सबसे पहले आगरा के भाई गगनदीप सिंह व उनकी टीम के द्वारा कीर्तन प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात यूएसए से आए हजुरी रागी जत्था भाई सरबजीत सिंह लाडी व उनकी टीम के द्वारा शबद कीर्तन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने गुरू तेग बहादूर जी की जीवनी पर प्रकाश डाला। भाई सरबजीत सिंह ने कहा कि गुरू तेग बहादूर के बचपन का नाम त्यागमल था। गुरू साहेब ने अंधविश्वासों की घोर आलोचना की और विभिन्न आदर्श स्थापित किये। वे सिक्ख धर्म के सम्मान के लिए कुर्बान हो गए।
भाई सरबजीत सिंह ने ‘‘जे सुख दे ता तुझे आराधि दुख भी तुझे धियाई’’, ‘‘गुरू तेग बहादर सिमरिये घर नऊ निध आवे धाये’’ समेत कई शबद से गुरूद्वारा परिसर भक्तिमय हो गया। गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा के प्रधान गुणवंत सिंह मोंगिया व सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी ने बताया कि बड़े ही धूमधाम से गुरू तेग बहादूर जी का गिरिडीह की सात संगत ने हर्षोल्लास के साथ शताब्दी समारोह मनाया। उन्होंने बताया कि शताब्दी समारोह मई माह में मनाया जाना था लेकिन लाॅकडाॅउन के कारण यह समारोह टाल दिया गया और अब यह मनाया गया। बताया कि रविवार को शताब्दी समारोह का समापन होगा। इस दौरान सरदार अमरजीत सिंह सलूजा व उनके परिवार की ओर से लंगर का आयोजन किया गया। जिसमें समाज के अलावा अन्य समुदाय के लोगों ने भी सिरकत की।