मौसम ने अब मिजाज बदल दिया है। पछुआ हवा चलने लगी है तो कनकनी बढ़ने लगी है। शाम ढलते ही ठंड अपना असर दिखाने लगती है। लिहाजा लोग जल्द ही घरों में दुबकने लगे हैं। ठंड का असर बाजार पर भी पड़ने लगा है। बढ़ती ठंड का ज्यादा असर बूढ़े और बच्चों पर पड़ रहा है। सुबह सुबह बच्चों को स्कूल जाने में भारी फजीहत होती है।
वहीं बढ़ती ठंड की मार दिहाड़ी मजदूरों पर भी पड़ रही है। सोमवार का न्यूनतम पारा 10 डिग्री सेल्सियस रहा। मंगलवार का तापमान और एक डिग्री घट कर 9 डिग्री हो जाएगा और पूरा हफ्ता लगभग 9 डिग्री के आसपास ही ठंड रहेगी। लेकिन ठंड को देखते हुए इस बार निगम या प्रशासन की ओर से कहीं अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है।
जिससे रात में रिक्साचालकों, ठेला या ऑटो वालों को या फिर रात में मुसाफिरों को कड़ाके की ठंड में हाथ सेंकने के लिए कोई उपाय नहीं रहता। कहीं कहीं लोग स्वयं ही गली मोहल्ले में अलाव लगाते हैं । वहीं स्वयंसेवी संगठनों की ओर से भी पूर्व के वर्षों की तरह कंबल-चादर का वितरण शुरू नहीं हो पाया है जिससे कि जरूरतमंदों को रात में थोड़ी राहत मिले।