कोलकाता के बाद यदि दुर्गोत्सव के लिए कोई जगह सबसे खास मानी जाती है, तो वह बिलासपुर है। बंगाली एसोसिएशन ने सबसे पहले रेलवे क्षेत्र में पहली बार दुर्गोत्सव मनाकर इसकी शुरुआत की थी। जिसका इतिहास बहुत ही खास है। साल 1923 में पहली बार रेलकर्मियों ने कोलकाता से मालगाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमा लाकर चुचुहियापारा में उत्सव मनाया। सौ साल पहले बिलासपुर को सिर्फ रेल परिचालन के लिए जाना जाता था। लिहाजा बड़ी संख्या में बंगाल से कर्मचारी यहां आकर रहने लगे थे। दुर्गा पूजा में उन्हें सबकुछ छोड़कर बंगाल जाना आसान नहीं था।
कुछ रेल कर्मचारियों ने निर्णय लिया कि यहां भी दुर्गा पूजा करेंगे। जिसमें भट्टाचार्य दादा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान बताया जाता है। जिन्होंने अपने बोनस की राशि को लेकर कुछ सदस्यों के साथ बंगाल गए। वहां से मालगाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमा को लेकर जब रेलवे स्टेशन पहुंचे तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। एकजुट होकर यहां एक पंड़ाल का निर्माण कर माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा उत्सव मनाया। जिसमें बड़ी संख्या में बंगाली परिवार शामिल हुए।