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जैन और आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति- पारसनाथ में दोनों पक्ष पहले की तरह धार्मिक रीति रिवाज और परंपरा का निर्वाहन करेंगे

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गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ (शिखर सम्मेदजी) को लेकर केंद्र सरकार के नए आदेशों के बाद जैन समाज और आदिवासियों के बीच बढ़ती खाई को पाटने के लिए आज जेएमएम विधायक सुदिव्य सोनू और गिरिडीह जिला प्रशासन की अध्यक्षता में एक हाई-लेवल बैठक हुई. इस बैठक में दोनों पक्षों के प्रतिनिधि शामिल हुए. आदिवासियों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने नए आदेशों में आदिवासी समाज की पूरी तरह से अनदेखी की है. इसे लेकर आक्रोशित आदिवासी समाज केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ आगामी 10 जनवरी को पारसनाथ में महाजुटान का ऐलान कर चुका है. आदिवासी समाज की इसी नाराजगी को देखते हुए विधायक सुदिव्य सोनू और गिरिडीह जिला प्रशासन ने जैन और आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को आमने-सामने बैठाकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की, जिससे आने वाले दिनों में विधि व्यवस्था कायम रह सके. इस बैठक में विधायक सुदिव्य सोनू, डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी अमित रेणु, अपर समाहर्ता विलियम्स वेंगरा के साथ-साथ जैन समाज के प्रतिनिधि व ट्रस्टी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, स्थानीय संथालियों, गैर संथालियों, आदिवासी और गैर-आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए.

बैठक के बाद विधायक सुदिव्य सोनू ने बताया कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से ये तय किया है कि जैसा सहयोगात्मक कार्य पूर्व से चलता रहा है, वह आगे भी चलता रहेगा. ना जैन तीर्थयात्रियों को कोई परेशानी होगी, और ना ही संथाल आदिवासियों को मरांगबुरु तीर्थस्थल पर जाने में कोई रुकावट या परेशानी होगी. बैठक में ये तय हुआ की दोनों पक्ष की ओर से किसी तरह का कोई नया नियम या पाबंदी नहीं लगायी जाएगी. पूर्व की तरह दोनों ही पक्ष अपने-अपने तीर्थस्थल और धार्मिक रीति रिवाज व परंपरा का निर्वाहन आगे भी करते रहेंगे. विधायक सुदिव्य सोनू ने कहा कि अंग्रेजों के गजट से लेकर इतिहास के पन्ने तक इस बात कि तस्दीक करते है कि पारसनाथ मरांगबुरु था, है और आगे भी रहेगा. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

अनुमंडलीय स्तरीय कमिटी बनेगी:

बैठक में विधायक सुदिव्य सोनू के सुझाव पर अब एसडीओ की अध्यक्षता में एक अनुमंडलस्तरीय कमिटी बनाने का निर्णय लिया गया. इस कमिटी में एसडीओ, बीडीओ, अंचलाधिकारी, जैन समुदाय के दोनों पक्ष (दिगंबर व श्वेताम्बर) के सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधि, मरांगबुरु के प्रतिनिधि शामिल होंगे. सांसद व विधायक इसके पदेन सदस्य होंगे. बहुत जल्द इसका प्रारूप तैयार कर लिया जाएगा. किसी भी अप्रिय घटना होने पर यह कमिटी सबसे पहले आपसी सहयोग से विवाद सुलझाने का प्रयास करेगी.

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