गिरिडीह के बेंगाबाद के चपुआडीह पंचायत अंतर्गत बुच्चा नावाडीह स्थित हजरत सैयद बाबा खलील शाह का मजार क़ौमी एकता के मिसाल के रूप में कायम है। इस दरबार से हिन्दू मुस्लिम सभी धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। खलील शाह बाबा के मजार पर सभी सम्प्रदाय के लोग पहुंचते हैं और आशीर्वाद पाते हैं। मुस्लिम धर्मावलंबियों के अलावे दूसरे सप्रदाय के श्रद्धालु श्रद्धा पूर्वक यहां आकर मन्नतें मांगते हैं और मुरादें पूरी होने पर बाबा के मजार पर चादर चढ़ाते हैं।
मजार के खादिम मास्टर सलाम और मो मेहंदी हसन बताते हैं कि हजरत बाबा सैयद खलील शाह के मजार पर जो भी लोग आकर मन्नतें मांगते हैं उनकी मुरादें पूरी होती है। अपने जीवन काल से लेकर अब तक हजरत खलील शाह ने मानव जाति के भलाई करने का काम किया है और लोग उनसे आशीर्वाद पाते रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किये हैं। यही कारण है कि उनके मृत्यु के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था बरकरार है।
हर वर्ष यहाँ 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक उर्स मुबारक का आयोजन होता चला आ रहा है। इस वर्ष भी हजरत खलील शाह बाबा का 38 वां उर्स मुबारक काफी धूम धाम से मनाया जा रहा है। दूर दराज के लोग बाबा के दरबार में हाजरी लगाने पहुँचे हुए हैं। उर्स के अंतिम दिन गांडेय विधायक डॉ सरफराज अहमद मजार पर पहुंचे। उन्होंने मजार पर हाजरी दी और क्षेत्र में अमन चैन की दुआएं मांगी। मौके पर उन्होंने सभी से आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने की अपील की। वहीं आपसी सौहाद्र के साथ हर उत्सव को मनाने की बात कही।
उर्स के आयोजन को लेकर उर्स कमिटी का गठन किया गया है उर्स मेला के आयोजन में हिन्दू मुस्लिम सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और सौहार्दपूर्ण माहौल में उर्स सम्पन्न कराने में अपनी भूमिका निभाते हैं. बता दें कि उर्स के मौके पर हजरत खलील शाह बाबा के मजार पर झारखंड के अलावे बिहार बंगाल उड़ीसा एवं उत्तर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से हजारों की संख्या मुरीदान (श्रद्धालु) उनके मजार पर पहुंचते हैं। हजरत खलील शाह बाबा के मजार पर श्रद्धालू पूरी आस्था एवं श्रद्धा भाव से मन्नतें- दुआएं मांगते हैं। साम्प्रदायिक सौहाद्र के प्रतीक के रूप में स्थापित इस मजार पर चादर चढ़ाने वालों तांता लगा रहता है।