गिरिडीह झारखण्ड

गिरिडीह में सिक्खों के चौथे गुरू रामदास जी का 489 वां प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया गया

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धन धन गुरू राम दास जिन सिरिआ तिनै सवारिआ, सबना का मां पियो आप है, समेत कई शबद कीर्तन से सात संगत निहाल हो गई । मौका था सिक्खों के चौथे गुरू रामदास जी के 489 वें प्रकाशोत्सव का। इस दौरान गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही भक्ति भाव धूमधाम तरीके से प्रकाश पर्व मनाया गया। स्थानीय रागी जत्थ भाई हरप्रीत सिंह और भाई प्रिंस सिंह के द्वारा एक से एक बढ़कर शब्द कीर्तन प्रस्तुत किया गया जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई।

स्थानीय रागी जत्थे के द्वारा भूलहि चूकहि बारिक ते, हरि पिता माया तेरे भरोसे पिआरे मैं लाड लड़ाया.., धन धन गुरूराम दास जिन सिरिआ तिनै सवारिआ……, जैसे कई कीर्तन प्रवाह किया गया। गुरू सिंह सभा के पूर्व प्रधान डॉ अमरजीत सिंह सलूजा ने बताया कि गुरू रामदास जी ने ही रामदासपुर की स्थापना की थी, जो आज अमृतसर स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रख्यात है।

इन्होंने 30 रागों में 638 रचनाएं लिखी। गुरू रामदास जी ने अंधविश्वास, जाति प्रथा व कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने बताया कि गुरू रामदास जी के प्रकाश पर्व को लेकर 7 दिनों तक सहज पाठ का आयोजन किया गया था। जिसका समापन आज हुआ। समाप्ति के पश्चात अरदास व लंगर का आयोजन किया गया। लंगर की सेवा सरदार देवेंद्र पाल सिंह टूटेजा, सैंकी टुटेजा की ओर से की गई थी।

मौके पर गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सम्मी, उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह सलूजा, सरदार अमरजीत सिंह सलूजा, पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, सतविंदर सिंह सलूजा, तरणजीत सिंह सलूजा, गुरदीप सिंह बग्गा, राजू चावला, रोबिन चावला, ऋषि चावला, राजेंद्र सिंह, परमजीत सिंह कालू, देवेंद्रपाल सिंह, समेत समाज के कई महिला-पुरूष व बच्चे मौजूद थे।