झारखंड के धनबाद के एक परिवार ने बुधवार को दावा किया कि प्रयागराज में कुंभ मेले में उन्हें उनका खोया हुआ एक परिजन मिल गया है और इसके साथ ही 27 साल से जारी परिजन की तलाश अब समाप्त हो गई है। खोए हुए परिजन गंगासागर यादव अब 65 वर्ष के हैं और वह ‘अघोरी साधु’ बन गए हैं तथा अब उनका नाम बाबा राजकुमार है।
उनके परिवार ने बताया कि 1998 में पटना की यात्रा के बाद गंगासागर लापता हो गए थे। उनकी पत्नी धनवा देवी ने अपने दो बेटों कमलेश और विमलेश की अकेले परवरिश की। गंगासागर के छोटे भाई मुरली यादव ने कहा, ‘‘ हम उन्हें दोबारा देखने की उम्मीद खो चुके थे लेकिन कुंभ मेले में गए हमारे एक रिश्तेदार ने गंगासागर जैसे दिखने वाले एक व्यक्ति की तस्वीर ली और हमें भेजी। इसके बाद मैं, धनवा देवी और उनके दो बेटों के साथ कुंभ मेला पहुंचा।’’ मेले में पहुंचने पर परिवार का सामना बाबा राजकुमार से हुआ, लेकिन उन्होंने गंगासागर यादव के रूप में अपनी पूर्व पहचान स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
बाबा राजकुमार ने वाराणसी का साधु होने का दावा किया और उन्होंने तथा उनकी साध्वी साथी ने पूर्व के किसी भी संबंध से इनकार किया। हालांकि, परिवार अपने दावे पर अड़ा रहा क्योंकि बाबा राजकुमार पूरी तरह से गंगासागर यादव से मिलते जुलते हैं, यहां तक कि उनके माथे और घुटने पर चोट के हूबहू वैसे ही निशान मिले जो गंगासागर यादव के थे।
परिवार के मुरली यादव ने कहा, ‘‘हम कुंभ मेले के अंत तक इंतजार करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो डीएनए परीक्षण पर जोर देंगे। यदि परीक्षण में परिणाम मेल नहीं खाते तो हम बाबा राजकुमार से माफी मांगेंगे।’’ इस बीच, परिवार के कुछ सदस्य घर लौट आए हैं जबकि अन्य अभी मेले में ही हैं।