गिरिडीह उपायुक्त ने ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक का निरीक्षण कर लिया वस्तुस्थिति का जायजा, दिए जरूरी दिशा-निर्देश
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आज उपायुक्त ने ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति का जायजा लिया। निरीक्षण के क्रम में उन्होंने बताया कि 90 के दशक के अंतिम वर्षों में यहां एक प्राइवेट कंपनी मेसर्स केस्ट्रोन टेक्नोलॉजी प्रा.लि. को खनन पट्टा की स्वीकृति प्रदान की गई थी एवं वर्ष 2002 के शुरुआत में यहां खनन का कार्य प्रारंभ किया गया था, परंतु कुछ वर्षों तक उत्खनन करने के पश्चात खनन पट्टा में निहित प्रावधानों का उचित अनुपालन नहीं करने के कारण माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में उक्त कम्पनी के खनन पट्टा को रद्द कर दिया गया एवं तत्पश्चात उत्खनन कार्य बंद करना पड़ा। लगभग 15 वर्षों से यहां खनन का कार्य बंद पड़ा है। वर्तमान में APMDC(आंध्रप्रदेश मिनरल डेवलपमेन्ट कॉरपोरेशन), जो कि आंध्रप्रदेश राज्य सरकार की एक सरकारी उपक्रम है, के द्वारा अंतिम रूप से खनन पट्टा स्वीकृति हेतु प्रस्तुत आवेदन के आलोक में उन्हें उक्त कोल ब्लॉक आवंटित किया जा रहा है।
इस कोल ब्लॉक को प्रारंभ करने हेतु कुछ औपचारिकताएं को पूर्ण करने की आवश्यकता है यथा माइनिंग प्लान अप्रूवल हेतु कोयला मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अनुमोदन प्राप्ति, इंवॉर्मेंटल क्लियरेंस हेतु पर्यावरण एवं वन मंत्रालय(MOEF) द्वारा अनुमोदन एवं झारखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा संचालन हेतु सहमति(C.T.O) उपलब्ध कराया जाएगा। इन सभी दस्तावेजों के प्राप्त होने के उपरांत जिला प्रशासन द्वारा APMDC को फाइनल रूप से ट्रांसफर लीज की स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी एवं तत्पश्चात सुचारु रुप से यहां उत्खनन कार्य शुरू किया जाएगा। इसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा। खनन कार्य शुरू होने से यहां रोजगार का सृजन होगा। इस परिस्थिति में व्यापक पैमाने पर रोजगार सृजन करने हेतु खनन के कार्यों को सुदृढ़ किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्थानीय श्रमिकों/व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें लाभान्वित किया जा सके।
साथ ही स्टॉकिंग कार्य/ ट्रंसपोर्टेशन आदि कार्यों में स्थानीय लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान होगा। आगे उन्होंने कहा कि उक्त कंपनी द्वारा कोकिंग कोल का उत्पादन किया जाएगा। उत्खनन एवं स्टॉकिंग के पश्चात ऑक्शन तथा ट्रंसपोर्टेशन की प्रक्रिया की जाएगी, जिसे इंडस्ट्रीज द्वारा सीधा क्रय किया जा सकेगा। उत्खनित किए गए कोयले का उपयोग आयरन एवं स्टील उद्योगों में किया जाएगा, जहां लौह अयस्क से शुद्ध लोहा व स्टील आदि का निर्माण किया जाता है। इस कार्य हेतु मैनपावर की आवश्यकता होगी, जिसकी भरपाई स्थानीय लोगों से की जाएगी। लोगों को रोजगार मिलेगा तथा इस क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ेगी, जिससे गिरिडीह जिले को राज्य स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान मिलेगी। यहां खनन के कार्य शुरू होने से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगी, इस क्षेत्र में संसाधन एवं सुविधाएं बढ़ेगी तथा ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।