पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर की महिमा सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में फैली हुई है। यहां मां शक्ती के स्वरूप मां तारा के दर्शन के लिए बड़ी तादाद में भक्त आते हैं। गुरुवार को भाद्र पद कौशिक अमावस्या के मौके पर शक्तिपीठ के रूप में मां तारा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी। इस दौरान गुरुवार की अहले सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी थी।
वहीं रात होते होते भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था। पूरी रात भक्त मां तारा की आराधना में डूबे रहें। मंदिर में जहां मां के दर्शन के लिए भक्तों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ा। वहीं मंदिर कुछ दूरी पर द्वारका नदी तट स्थित श्मशान में आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ था। तांत्रिक जहां सिद्धि के लिए बैठे थे। वहीं चारों ओर हवन के साथ ही ढोल नगाड़े की आवाज सुनाई दे रही थी। कुल मिलाकर श्मशान का दृश्य काफी विहंगम था।
इधर रामपुरहाट से लेकर तारापीठ मंदिर तक सड़क पूरी तरह से जाम था। लगभग तीन लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने तारापीठ मंदिर पहुंचे थे जिसे देखते हुए बंगाल पुलिस के द्वारा सुरक्षा व विधि व्यवस्था को लेकर चाक चौबंद थी। बताया जाता है कि भाद्र पद कौशिकी अमावस्या के दिन ही मां तारा के भक्त बामाखेपा ने तारापीठ के महाश्मशान में श्वेत सेमुल वृक्ष के नीचे साधना कर सिद्धि प्राप्त की थी और मां तारा ने अपने इस भक्त को साक्षात दर्शन दी थी।
मान्यता है कि इसी दिन तारा मां की पूजा देने और द्वारका नदी में स्नान करने से मनोकामना पूरी होती है। इसी वजह से भादो अमावस्या पर बंगाल के अलावा झारखंड, बिहार समेत दूसरे राज्यों से भी लाखों की तादात में श्रद्धालु विशेष पूजा के लिए तारापीठ पहुंचते हैं।