महाशिवरात्रि के दो दिन पूर्व सोमवार को एकादशी तिथि पर प्राचीन परंपरा के अनुसार बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती के मंदिर के शिखर से पंचशूल को उतारा गया। इसके बाद पंचशूल को बाबा मंदिर के भीतर सफाई के लिए रखा गया।
इधर, पंचशूल के उतरते ही उसे छूने के लिए और सिर से लगाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
पंचशूलों की मंगलवार को विशेष पूजा-अर्चना होगी। दोनों मंदिरों के पंचशूलों को उतारने के बाद उनका मिलन कराया गया। यह परंपरा काफी प्राचीन है।
बाबा, मां पार्वती सहित सभी मंदिरों के शिखर से उतारे गए पंचशूलों की मंगलवार को मंदिर कार्यालय के राधाकृष्ण मंदिर के बरामदे पर पुजारी व आचार्य तांत्रिक विधि से पूजा करेंगे। करीब एक घंटे की विशेष पूजा के बाद आरती की जाएगी। उसके बाद पुनः गणेश मंदिर से पंचशूल को शिखर पर स्थापित करने का काम प्रारंभ हो जाएगा।