विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर स्थित ऐतिहासिक, पौराणिक शिवगंगा तट के बीचोबीच स्थित कुंड में विराजमान पाताल महादेव दर्शन के बाद पूजन व जलाभिषेक प्रारंभ हो गया। लंबे अरसे के बाद बासुकीनाथ के शिवगंगा की जल निकासी व व्यापक साफ-सफाई होने के उपरांत शिवगंगा के मध्य स्थित कुंड में विराजमान पाताल महादेव के दर्शन एवं पूजन को लेकर श्रद्धालुओं में भी काफी उत्सुकता थी।
श्रद्धालुओं ने शिवगंगा की सफाई में श्रमदान किया। पाताल महादेव के दर्शन के साथ ही पाताल महादेव के कब दर्शन होंगे इसकी चर्चा पर भी विराम लग गया। स्थानीय पंडा-पुरोहित व श्रद्धालुओं की माने तो पाताल कुंड के दर्शन के साथ ही जलाभिषेक एवं श्रृंगार पूजन का बुधवार से ही तांता लग गया है।
पाताल महादेव का इतिहास
शिवगंगा अपने गर्भ में कई पौराणिक कथा व ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं समेटे हुए हैं। उन्हीं में से एक है शिवगंगा के मध्य में स्थित कुंड में विराजमान पाताल शिवलिंग। शिवलिंग की महिमा निराली है। मान्यता है कि इसके दर्शन, पूजन मात्र से सभी जन्मों के पाप धूल जाते हैं व मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
1342 ई. में हुआ मंदिर का निर्माण वहीं इस पाताल शिवलिंग के प्रधान पुजारी अनिल पंडा, मंदिर के पुजारी सदाशिव पंडा, मनोज पंडा सहित अन्य लोग भी इसकी महिमा विस्तार पूर्वक बताते हुए कहते हैं कि पाताल शिवलिंग के दर्शन होने पर नित्य दिवस संध्या के समय भक्तों के द्वारा विधि विधान पूर्वक श्रृंगार पूजन भी किया जाता है। कुंड में एक शिलापट्ट भी मिला है, जिसमें शिवगंगा के स्थापना काल की तिथि 1342 ई. अंकित है