सिक्खों के छठे गुरू हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही उत्साहपूर्वक मनाया गया। प्रकाश पर्व को लेकर शुक्रवार को गुरू ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ का आरंभ किया गया था, जिसका समापन रविवार को प्रकाश पर्व के मौके पर हुआ। इस अवसर पर रामगढ़ से आए भाई सरबजीत सिंह जत्था टीम के द्वारा धन्य-धन्य हमारे भाग्य, घर आया मेरा पीर, अमृत जीवहु सदा चीर जीवहु हरि सिमरत अनद अनंता, कारज सतिगुरू आप समारिया आदि शबद-कीर्तन प्रस्तुत किया गया। जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई।
प्रकाश पर्व को लेकर गुरू ग्रंथ साहिब को भव्य रूप से सजाया गया था। गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा के प्रधान डाॅ गुणवंत सिंह मोंगिया ने बताया कि सिख पंथ के छठे धर्म-गुरु हरगोबिंद साहिब जी का जन्म अमृतसर के वडाली गाँव में गुरु अर्जन देव के घर हुआ था। गुरु के जन्मोत्सव को ‘गुरु हरगोबिंद जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। गुरु अर्जन देव जी जहाँगीर के आमंत्रण पर लाहौर चलने से एक दिन पूर्व 29 ज्येष्ठ संवत 1663 (25 मई 1606) को हरगोबिंद साहिब जी को मात्र 11 वर्ष में गुरूपद सौंप दिया। गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने सिख धर्म में वीरता की नई मिशाल पेश की। वह अपने साथ सदैव मीरी तथा पीरी नाम कि दो तलवारें धारण करते थे। एक तलवार धर्म के लिए तथा दूसरी तलवार धर्म की रक्षा के लिए। इसलिए उन्हें मीरी-पीरी का मालिक कहा जाता था।
उन्होंने बताया कि हरगोबिंद जी ने मुगलों के अत्याचार से पीड़ित अनुयायियों में इच्छा शक्ति व आत्मविश्वास पैदा किया। प्रकाश पर्व में लंगर की सेवा सरदार अमरजीत सिंह सलूजा व उनके परिवार की ओर से की गई थी। मौके पर गुरूसिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा, चरणजीत सिंह सलूजा, राजेंद्र सिंह, त्रिलोचन सिंह, पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, तरणजीत सिंह सलूजा, सतविंदर सिंह सलूजा, गुरभेज सिंह कालरा,ऋषि चावला, जोरावर सिंह सलूजा समेत कई लोग मौजूद थे।