गिरिडीह। धन धन गुरू राम दास जिन सिरिआ तिनै सवारिआ समेत कई शबद कीर्तन से सात संगत निहाल हो गई है। मौका था सिक्खों के चौथे गुरू रामदास जी के 486वें प्रकाशोत्सव का। इस दौरान गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में बड़े ही भक्ति भाव धूमधाम तरीके से प्रकाश पर्व मनाया गया।
वहीं स्थानीयरागीजत्था भाई सुबोध सिंह के द्वारा भूलहि चूकहि बारिक ते, हरि पिता माया तेरे भरोसे पिआरे मैं लाड लड़ाया.. जैसे कई कीर्तन प्रवाह किया गया, जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। गुरू सिंह सभा के प्रधान गुणवंत सिंह मोगिया ने बताया कि गुरूराम दास ने ही रामदासपुर की स्थापना की थी, जो आज अमृतसर स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रख्यात है। इन्होंने 30 रागों में 638 रचनाएं लिखी। गुरूराम दास जी ने अंधविश्वास, जाति प्रथा व कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने बताया कि 31 सितम्बर से अखंड पाठ की शुरूआत हुई थी, जिसका समापन आज हुआ।
समाप्ति के पश्चात अरदास व लंगर का आयोजन किया गया। लंगर की सेवा सरदार देवेंद्र पाल सिंह टूटेजा की ओर से किया गया। मौके पर गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सम्मी, उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह सलूजा ,सरदार अमरजीत सिंह सलूजा गुणवंत सिंह मोगिया पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह,
गुरभेज सिंह कालरा, कुवंरजीत सिंह,
गुरदीप सिंह बग्गा, अवतार सिंह, राजू चावला, डिम्पी खालसा, देवेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह समेत समाज के कई महिला-पुरूष व बच्चे मौजूद थे।