आज NMOPS की गिरिडीह जिला इकाई ने आगामी 26 जून को आहूत ‘पेंशन जयघोष महासम्मेलन’ के ऊद्देश्य एवं तैयारियों के संबंध में गिरिडीह के परिसदन भवन में प्रेस वार्ता की।प्रेस वार्ता के दौरान जिला संयोजक मुन्ना प्रसाद कुशवाह, द्वारा बताया गया की नई पेंशन योजना जो पूरी तरह से पूँजीपतियों के हितों को ध्यान में लेकर लायी गयी थी इसके अबतक के सारे परिणाम कर्मचारी की सामजिक सुरक्षा की दृष्टी से भयावह रहे हैं।
वहीं इम्तियाज जोनल संगठन प्रभारी द्वारा बताया गया की इसी आर्थिक बिमारी के पूर्ण विसर्जन एवं पुरानी पेंशन की पुनर्स्थापना हेतु पूरे राज्य से हज़ारों की संख्या में कर्मचारी एवं पदाधिकारी राँची के मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में “पेंशन जयघोष महासम्मेलन” करने जा रहे हैं।
इस महाआयोजन में न सिर्फ झारखण्ड राज्य के वरन कई अन्य प्रदेशों से भी लोग शिरकत करने आ रहे हैं। इस विषय पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से लगभग तीन वर्ष पहले जब वे सत्ता में नहीं थे, तब से बात चल रही थी। उन्होने इस विषय की मार्मिकता को समझा था और सरकार बनने के बाद भी इसपर अपना साकारात्मक रुख बनाये रखा।
उन्होने यह वादा किया था की वे 2004 के बाद से झारखण्ड में सरकारी सेवा में नियुक्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल कर देंगे।
NMOPS, झारखण्ड के प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री कार्यालय की कई दौर की वार्ताएँ हुईं एवं इसके सभी पहलुओं पर गहन चर्चा हुई।
अंतत: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा के ग्रीष्मकालीन सत्र के समापन में झारखण्ड राज्य में पुरानी पेंशन बहाली के अपने संकल्प को उच्च स्वर में दोहराया और उनके द्वारा कहा गया की बहुत जल्द वे झारखण्ड में पुरानी पेंशन बहाल करने जा रहे हैं।
दिनांक 17.06.2022 को जब इस महासम्मेलन के आयोजकों द्वारा उन्हें मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया तो उन्होने एक मज़बूत कदम और आगे बढ़ते हुए विभिन्न सोशल मिडिया प्लैटफार्म के माध्यम से यह घोषणा की, की अब समय आ गया है पुरानी पेंशन बहाली का।
जिससे पूरे राज्य में एक खुशी की लहर है एवं कर्मचारी कृतज्ञता से भरे उत्साह से लबरेज़ हैं।
इस दौरान उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ मिडिया हाउसेज़ द्वारा यह भ्रम भी फैलाने का प्रयास किया जा रहा है की बिना केन्द्र सरकार की सहमति के इसे राज्य में नहीं लागू किया जा सकता है एवं PFRDA अपने पास जमा NPS फंड की राशि नहीं लौटा सकता है।
इस संबंध में राजेंद्र प्रसाद प्रांतीय मीडिया प्रभारी द्वारा बताया गया की कर्मचारियों की वेतन एवं पेंशन राज्य का विषय है जिसका वहन सामान्यतया राज्य के बजट से किया जाता है। इसमें कहीं भी केन्द्रांश का कोई कन्सेप्ट ही नहीं है तो इसमें केन्द्र क्या दखलंदाजी कर सकता है।
अभी हाल ही में दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ पहले ही इसे बहाल कर चुके हैं। और तो और केन्द्र सरकार स्वयं इस बात को एक RTI के उत्तर में स्पष्ट कर चुकी है।
जहाँ तक बात रही PFRDA की तो वह फंड का मालिक नहीं है, वह सिर्फ एक फंड मैनेजर है। NPS में जमा पैसा राज्य सरकार और कर्मियों का है यदि PFRDA आधिकारिक रुप फंड को लौटाने में आनाकानी करता है तब आवश्यक विधिक उपचार किये जायेंगे। अभी कुछ सेवाओं में जिनमें बहाली 2004 के बाद हुई किन्तु नियुक्ति प्रक्रिया उससे पहले से चल रही थी उनमें से कुछ को माननीय न्यायालय के आदेश से पुरानी पेंशन में लाया जा चुका है एवं उसमें CPF को GPF में बदला भी गया है।
मौके पर इम्तियाज अहमद,जोनल संगठन मंत्री महासंघ के अनूप कुमार सिन्हा ,संरक्षक घनश्याम गोस्वामी,ऋषिकांत सिंहजी,अवधेश कुमार ,बमशंकर रॉय, मिथुन राज भी उपस्थित थे।