गिरिडीह। सिखों के पांचवे गुरू गुरू अर्जन देव जी का 416 वां शहीदी दिवस स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा गुरूसिंह सभा में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस दौरान पिछले बुधवार से चल रहे अंखड़ पाठ का समापन हुआ। इस दौरान जमशेदपुर से आए रागी जत्था भाई गुरदीप सिंह जी के द्वारा भजन कीर्तन प्रस्तुत किया गया। इस संबंध में गुरूद्वारा गुरूसिंह सभा के प्रधान डॉक्टर गुणवंत सिंह मोंगिया ने कहा कि गुरू अर्जन देव जी को सिखों का सरताज कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि बताया कि 30 मई 1606 ई को मुगल शासक जहांगीर ने गुरू अर्जन देव जी की बढ़ती लोकप्रियता व प्रचार से सिखों के खालसा पंथ का तेजी से विस्तार देख जहांगीर सहन न कर सका, जिसके कारण उसने भीषण गर्मी के दौरान याशा व सियासत कानून के तहत लोहे की गर्म तवे पर बैठाकर शहीद करने का हुक्म सुनाया। इस दौरान गुरू जी को इस भीषण गर्मी में तपते तवे पर बैठाकर उनके शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई, जिसके कारण उनका पूरा शरीर जल गया। उसके बाद गुरू जी को ठंडे पानी वाली रावी दरीया में नहाने के लिए भेजा गया जहां गुरूजी का पावन शरीर रावी में आलोक हो गया। जहां गुरू जी की ज्योति ज्योत समाया, उसी स्थान पर लाहौर में रावी नदी के किनारे गुरूद्वारा डेरा साहेब का निर्माण कराया गया, जो अब पाकिस्तान में है। इधर गुरूद्वारा के बाहर छबील का आयोजन किया गया। जिसमें आते जाते राहगीरों को मीठा ठंडा शरबत पिलाया गया। भजन कीर्तन और अरदास के तत्पश्चात नो लंगर का आयोजन किया गया।
जिसमें सिख समाज के अलावा अन्य समाज के लोगों ने भी हिस्सा लिया। मौके पर प्रबंधक कमिटी के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी चरणजीत सिंह सलूजा, परमजीत सिंह दुआ, राजेंद्र सिंह, अमरजीत सिंह सलूजा, देवेंद्र सिंह, सतविंदर सिंह सलूजा, तरनजीत सिंह सलूजा, अनमोल सलूजा, गुरमीत सिंह,गुरदीप सिंह बग्गा समेत समाज के सभी महिला-पुरुष व बच्चे मौजूद थे।