आज देवउठनी एकादशी है। माना जाता है चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन जागते हैं, इसलिए इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से ही शादियों का सीजन शुरू होता है। गृह प्रवेश और बाकी मांगलिक काम भी शुरू हो जाते हैं।
देवउठनी एकादशी को अबूझ मुहूर्त मानते हैं। इस दिन बिना मुहूर्त देखे भी शादी की जा सकती है। आज यानी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन देव जगाने की परंपरा है।
यानी पिछले चार महीने से योग निद्रा में सोए भगवान विष्णु को शंख बजाकर जगाया जाता है। दिनभर महापूजा चलती है और आरती होती है। शाम को शालग्राम रूप में भगवान विष्णु और तुलसी रूप में लक्ष्मी जी का विवाह होता है।
घर और मंदिरों को सजाकर दीपक जलाए जाते हैं। तुलसी-शालग्राम विवाह नहीं करवा सकते तो सिर्फ इनकी पूजा भी कर सकते हैं।