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गिरिडीह के दो नन्हे मार्शल आर्ट खिलाड़ियों को है मदद की दरकार

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कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। लेकिन साधन और संसाधनों की कमी से प्रतिभा को निखरने का मौका जरूर रुक जाता है।अब आप इसे ही देख लीजये।यह है महेसलुंडी निवासी संजीव वर्मा का 10 वर्षीय पुत्र आदित्य और 9 वर्षीय पुत्री पंखुड़ी। इस नन्हीं सी उम्र में इन दोनों बच्चों ने मार्शल आर्ट कराटे में अपना लोहा मनवाया है।इनके शानदार प्रदर्शन से बड़े-बड़े कराटे के खिलाड़ी भी हतप्रभ रह जाते हैं। सुभाष पब्लिक स्कूल के क्लास 4 और 3 में पढ़ने वाले यह दोनों बच्चे ईस्ट इंडिया कराटे चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं। पंखुड़ी वर्मा तो अभी से ही लेदा हाई स्कूल और अलगुंदा मिडिल स्कूल में ट्रेनर के रूप में काम कर रही है।यानी अपने से बड़े उम्र के बच्चों को यह अभी से ही आत्मरक्षा के गुर सिखा रही है।

लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इनकी प्रतिभा परवान चढ़ने से महरूम रह जा रही है। बता दें कि 15 और 16 अप्रैल को जयपुर में होने वाले नेशनल कराटे चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए इन दोनों बच्चों का चयन हुआ है। जहां इन्हें ब्लैक बेल्ट ग्रेडिंग में भी शामिल कराया जाएगा। लेकिन आर्थिक रूप से ज्यादा सबल नहीं रह पाने के कारण इनके अभिभावक इन बच्चों को जयपुर नहीं भेज पा रहे हैं। बताया गया कि नेशनल कराटे चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद इनकी प्रतिभा निश्चित रूप से निखरेगी और इन्हें आगे बढ़ने का मौका मिल पाएगा। बच्चे चैंपियनशिप में नहीं जा पाने की वजह से मायूस नजर आ रहे हैं। अब समाज के प्रबुद्ध लोगों की बारी है आगे आने की।ताकि इन बच्चो को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका मिल पाय। उम्मीद है कि अगर इन बच्चों को सहयोग दिया गया तो निश्चित रूप से यह दोनों बच्चे एक दिन गिरिडीह को गौरवान्वित करेंगे।

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