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गिरिडीह में 8 मार्च से कला संगम द्वारा निःशुल्क अखिल भारतीय बहुभाषी नाट्य महोत्सव का निःशुल्क आयोजन

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गिरिडीह शहर में 8 मार्च को विभिन्न संस्कृति का समागम होगा। 12 राज्यों के लगभग 300 कलाकार जुटेंगे और अपनी-अपनी संस्कृति, अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

उक्त बातें कला संगम के संरक्षक सतविंदर सिंह सलूजा एवं अध्यक्ष प्रकाश सहाय ने कही। संरक्षक व अध्यक्ष सलूजा गोल्ड के कॉन्फ्रेंस हॉल में संवाददाताओं को सम्बोधित कर रहे थे।


अध्यक्ष सहाय ने कहा कि कला संगम भारतीय कला संस्कृति के उत्थान के लिए देशभर के आमेचर कलाकारों को मंच प्रदान करता है। लुप्त होती नाट्य कला को जीवित रखने के लिए हम संकल्पित हैं।


संरक्षक सलूजा ने कहा कि नृत्य संगीत मानवीय विकास और चेतना विकसित करने का माध्यम है।
संरक्षक अजय सिन्हा मंटू ने कहा कि जेपी कुशवाहा की स्मृति में कला संगम द्वारा 23वीं अखिल भारतीय बहुभाषी नाटक, लोक नृत्य, शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन सबेरा सिनेमा हॉल में किया गया है। महोत्सव दर्शकों के लिए निःशुल्क है।


कला संगम के सचिव सतीश कुंदन ने कहा कि इस बार उड़िया, बंगला, हिंदी भाषा के नाटक होंगे। हिंदी नाटकों में प्याज के फूल, भाड़े का रिश्तेदार, ए काइंड ऑफ प्रेग्नेंसी, कैनवास की मौत, अश्वथामा, संबोधन, नाटक नहीं, वी वांट जस्टिस, बंगला में शुद्धो बाबू बुद्धो, डीजोरासार पोडी, सहजपन, उड़िया नाटक सुनपान जोरी का मंचन होगा।
नृत्य में कत्थक, भरतनाट्यम, ओड़िसी, छऊ, झूमर, करमा आदि लोकनृत्य प्रस्तुत किये जायेंगे।


उपाध्यक्ष अंजनी सिन्हा व राजीव सिन्हा ने कहा कि इस बार 11 राज्यों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। उड़ीसा, बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, असम आदि भाग ले रहे हैं।
संरक्षक श्रेयांश जैन ने बताया कि 9 मार्च को शहर में ईश्वर स्मृति भवन से अपने-अपने राज्यों की संस्कृति की झांकियां निकाली जाएगी।
उद्घाटन गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार, पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा तथा अन्य विशिष्ट अतिथि करेंगे।
प्रेस वार्ता में सह संयोजक सुनील भूषण, सह सचिव मदन मंजर्वे, मीडिया प्रभारी सुनील मंथन शर्मा, बिनोद शर्मा, कवींद्र भट्टाचार्या आदि मौजूद थे।

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