गिरिडीह शहरी क्षेत्र समेत पूरे जिले में पति के लंबी उम्र के लिए सोमवार को सुहागिनों ने 16 श्रृंगार करके बरगद के पेड़ के चारों ओर फेरे लगाकर अपने पति के दीर्घायु होने की प्रार्थना की। प्यार, श्रद्धा और समर्पण का यह व्रत सच्चे और पवित्र प्रेम की कहानी कहता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सावित्री ने यमराज के फंदे से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी।
भारतीय धर्म में वट सावित्री पूजा स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे करने से हमेशा अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीष प्राप्त होता है। कहा जाता है कि जब सावित्री पति के प्राण को यमराज के फंदे से छुड़ाने के लिए यमराज के पीछे जा रही थी उस समय वट वृक्ष ने सत्यवान के शव की देख-रेख की थी। पति के प्राण लेकर वापस लौटने पर सावित्री ने वट वृक्ष का आभार व्यक्त करने के लिए उसकी परिक्रमा की। इसलिए वट सावित्री व्रत में वृक्ष की परिक्रमा का भी नियम है।