गिरिडीह झारखण्ड

विकास योजनाओं को धरातल पर सफल रूप देने के उद्देश्य से उपायुक्त ने पीरटांड़ प्रखंड एवं डुमरी प्रखंड में संचालित योजनाओं का निरीक्षण किया

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गिरिडीह जिले के अतिउग्रवाद एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों के गांवो को विकास योजनाओं से जोड़ने के उद्देश्य से जिला प्रशासन प्रयासरत हैं।अतिउग्रवाद एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में क्रियान्वित योजनाओं को धरातल पर सफल रूप देने के उद्देश्य से आज उपायुक्त ने पीरटांड़ प्रखंड अंतर्गत मधुबन पंचायत के बेड़ी गांव एवं डुमरी प्रखंड अंतर्गत छछंदो पंचायत के टेसाफुली गांव में संचालित योजनाओं का निरीक्षण कर विकास योजनाओं की जानकारी ली। साथ ही गांव के किसानों को फसलों हेतु मिल रही सिंचाई सुविधा की जानकारी ली। इस दौरान उपायुक्त ने कहा कि जिले के अतिउग्रवाद एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लिफ्ट इरीगेशन एवं सोलर पंप के माध्यम से स्थानीय किसानों को सिंचाई की व्यवस्था सुगम तरीके से उपलब्ध कराई जा रही है। उक्त योजनाओं का संचालन ऐसे स्थानों पर किया गया है, जहां 12 महीनों जल स्रोत मौजूद है, अति उग्रवाद एवं सुदूरवर्ती क्षेत्र के किसानों को सिंचाई की व्यवस्था सुगम तरीके से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिले में ऐसे 64 गांवों को चिन्हित किया गया है, जहां उक्त योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।

ताकि उस क्षेत्र में 12 महीनों विभिन्न प्रकार के फसलों की खेती की जा सकें। जिससे वहां के स्थानीय किसानों को फायदा पहुंचाया जा सकें। इसी के उद्देश्य से उक्त सभी स्थानों पर इंटेक वैल, मोटर पंप को लगाया गया है, जहां लिफ्ट इरीगेशन एवं सोलर पंप के जरिए किसानों को सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है। लिफ्ट इरीगेशन एक ऐसी पद्धति होती है जिससे टांड़ वाले स्थानों के खेतों को निचली सतह से लेकर उच्च सतह तक पंप या किसी अन्य यांत्रिक तरीके से सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाती है। साथ ही लिफ्ट इरीगेशन के माध्यम से ऐसे स्थानों पर सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है, जहां पानी का कोई स्रोत नहीं है तथा पानी रुक नहीं पाता है, ऐसे टांड़ स्थानों पर सुगम तरीके से पटवन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिससे अधिकांश टांड़ वाले स्थानों को सिंचित कर खेती की जा सकें।