गिरिडीह झारखण्ड धर्म

अनंत चतुर्दशी पर क्या है 14 गांठों वाले सूत्र का राज, जानिए इसका महत्व

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गिरिडीह में भगवान अंनत की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से की जा रही है। शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में पंडितों द्वारा पूरे विधि विधान से पूजा करवाई जा रही है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का पूजन किया जाता है और इस दिन ही गणेश विजर्सन भी किया जाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 28 सितंबर को रखा जाएगा. अनंत चतुर्दशी के दिन जातक व्रत रखते हैं और दिनभर भगवान विष्णु की अराधना करते हैं. इस दिन हाथ में रक्षासूत्र बांधा जाता है जिसे अनंत डोर भी कहते हैं. इस धागे में 14 गांठें होती हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन इसका खास महत्व माना गया है. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी के दिन क्यों बांधते हैं अनंत रक्षासूत्र और इसमें क्यों होती हैं 14 गांठें?

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व माना गया है और इस दिन हाथ में 14 गांठ वाला धागा बांधना शुभ माना गया है. यह सूती या रेशम का धागा होता है. अनंत डोर यानि रक्षासूत्र में बंधी 14 गांठ अलग-अलग लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि जो पूरे चौदह साल तक सभी नियमों के साथ पूजा पाठ करके चौदह गांठ वाला सूत्र बांधता है उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.

एक पौराणिक कथा के अनुसार जब पाण्डव जुए में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी. धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनंत सूत्र धारण किया. अनंत चतुर्दशी व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।

अनंत सूत्र बांधने के नियम

ये डोर सूती या रेशम से ही बनी होती है. जिसे पुरुष अपने दाहिने हाथ पर बांधते हैं और महिलाएं बाएं हाथ पर बांधती हैं.

* इस डोर को पूजा के बाद ही बांधा जाता है.

* अनंत डोर बांधने वाले अधिकांशतः दिन भर उपवास भी रखते हैं.

* इस धागे को 14 दिनों तक हाथ में बांधकर रखना चाहिए. फिर 14 दिन बाद इसे उतारकर पूजा के स्थान पर रखना चाहिए.

* यदि कोई व्यक्ति 14 दिनों तक धागा बांधकर नहीं रख सकता तो जिस पूजा हुई है उसी दिन धागा खोलकर मंदिर में रख दे.

* अनंत सूत्र बांधने के बाद 14 दिनों तक मांसाहार, शराब या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.